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Tuesday, September 7, 2010

Hamari Madhu Rajani 1

हमारी शादी तो हो गयी हम दोनो इतने थक गाये थे की हमने सोचा की ऐसे माहॉल में पहली चुदाई में मज़ा नहीं आएगा. हम ने दो दिन आराम किया. तीसरे दिन कलपु अपने मैके चली गयी बीन चुदवाये. उन की चाची और दुसरी औरतों को जब पता चला की कल्पना कम्वारी ही वापस आई थी तब उन्हें मेरी मर्दानगी पर शक पड़ा. दाल में कुछ काला है वरना दूल्हा ने दुल्हन को चोदा क्यूं नहीं ? कल्पना को लेकिन मुज़ पर पूरा विश्वास था. शादी से पहले एक दो बार मेने उस की चुचियाँ दबा दी थी और मेरा लंड हाथ में पकड़ा दिया था. उसे पता था की मेरा लंड खड़ा हो सकता था, चोद ने के काबिल था. एक हपते बाद कल्पना वापस आने वाली थी. जिस दिन आए उसी दिन में उसे चोद ने वाला था, सुहाग रात या ना सुहाग रात.


आख़िर वो दिन आ गया. शाम के पाँच बजे उस के भैया मनोज कार से उसे ले आए. कल्पना के साथ उस की मौसी की लड़की, बारह साल की काजल भी थी.
मनोज बोले : कल्पना को कंपनी देने के लिए मौसी ने काजल भेजी है आप को पसंद ना हो तो में वापस ले चलूं.
मुज़े पसंद तो नहीं था लेकिन कहा : ना, ना रहने भी दीजिए. में जब काम पर जऔ तब कल्पना घर में अकेली ही होगी ना ?

पिताजी बिज़नेस के वास्ते बाहर गाँव चले गये थे. घूमने के बहाने नेहा को साथ ले गये थे और छे सात दिन बाद लौटने वाले थे. में घर में अकेला था. चाई नाश्ता कर के मनोज चले गये काजल की परवाह किए बिना तुरंत मेने कल्पना को बाहों मे भर लिया.

उस ने मुज़े आलिनगान देने दिया लेकिन जैसे मेने किस करने के लिए उस का चहेरा पकड़ा वो छटक कर भाग गयी और बोली : अभी नहीं, काजल को सो जाने दो. इतनी जल्द बाज़ी करने से मज़ा मर जाएगा. रात होने में अब कितनी देर है ? चलो में कुछ खाना बना लूं ?
में : खाना बनाने की ज़रूरत नहीं है आज हम होटेल में खाएँगे. लेकिन पहले में तुज़े कुछ दिखा उन, आ जा.
कलपु : क्या दिखाते हो ? उस दिन हमारे घर आए थे और दिखाया था वो ?

उस का मतलब था मेरी शरारत से. शादी से पहले एक बार जब में उस के घर गया था तब मेने उसे मेरा तना हुआ लंड दिखाया था और कहा था की उन के लिए ही मेने इस को संभाल रक्खा था, किसी ओर लड़की को दिया नहीं था.



में उसे शयन खंड में ले गया. मेने ख़ुद कमरा सजाया था. ढेर सारे फूल ले आया था. बड़े पलंग पर मोटी फोम की गद्दी डाल दी थी. रेशमी चादर बिछा दी थी. कमरे में चारों ओर फूल ही फूल लगाए थे. बाथरूम में नाइट ड्रेस और टॉवेल्स रख दिए थे. रात का खाना खा कर हम तीनो घर आए तब दस बज गये थे, में कलपु को चोद ने के लिए अधीर हो रहा था. इतने में काजल बोली : दीदी, मुज़े नींद आ रही है अब ये काजल थी तो बारह साल की लेकिन उस का बदन था सोलह साल की लड़की जैसा. कल्पना ने बताया की एक साल से उस की माहवरी शुरू हो गयी थी. वाकई सीने पर बड़े श्री फल जैसे गोल स्तन थे, चौड़े भारी नितंब थे और भारी भारी जांघें थी. कल्पना ने कहा की कंपनी देना ये तो बहाना था, हक़ीकत में मौसी की इछा थी की काजल हम से कुछ सेक्स के बारे में सीखे. मेने शरारत से कहा : एक सुहाग रात में दो दो कलियाँ चोद ने मिलेगी मुज़े ? कल्पना : धत्त, कैसी बातें करतें हें ? वो तो बेचारी अभी बारह साल की ही है में : बारह हो या तेरह, उस की चुत कैसी है ? लंड ले सके इतनी खिल गयी है या नहीं ? जिस तरह उस के स्तन और नितंब दिखाई दे रहे हें इस से तो लगता है की उस की चुत भी तैयार ही होगी. कल्पना : जनाब, पहले एक से तो निपट लीजिए. दुसरी का बाद में सोचिएगा.


कल्पना ने काजल को दूसरे कमरे में बिस्तर दिया और वो सो गयी हम दोनो हमारे शयन खंड में गये.

अंदर जाते ही कल्पना मेरे पाँव पड़ गयी मेने उसे उठा लिया और बाहों में भिंस डाली. उस ने अपना चहेरा मेरे सीने से लगा दिया. मेरे लंड को तन जाने में देर ना लगी मेने कहा : प्यारी, बाथरूम में नाइट ड्रेस रक्खा है वो पहन ले, जिस से हमे आज जो करना है वो आसानी से कर सकें.

मेरा इशारा चुदाई से था, जान कर वो शरमाई और झट पट बाथरूम में चली गयी थोड़ी देर बाद उस ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला और अंदर से बोली लाइट बंद कर दीजिए ना.

में समज़ता था. नाइटि पहन कर उसे शरम आ रही थी. मेने कमरे की लाइट बंद कर दी तब वो निकली और दौड़ कर पलंग पैर जा बैठी. मेने बाथरूम में जा कर सब कपड़े उतर दिए स्नान किया और नाइट गवन पहन लिया. परफ़्यूँ लगा कर में बाहर आया. रोशनी के लिए बाथरूम का दरवाज़ा खुला रक्खा.


कल्पना पलंग पैर बैठी थी, सिनेमा में जैसे दिखाते हें वैसे. में उस के सामने जा बैठा. नज़र झुकाए होठों पैर मुस्कान लिए वो उंगलियाँ से नाइटि का कोना मसल रही थी. मेने उस के हाथ पकड़े. हथेलियों पैर मेहन्दी लगाई हुई थी. मेने कहा : अरे वाह, बढ़िया मेहन्दी लगाई है हाथ पर ही है या ओर जगह पैर भी ?

नज़र नीची रखते हुए वो धीरे से बोली : पाँव पर भी लगाई है

दोनो पाँव खुला कर मेने मेहन्दी देखी. वाकई डिज़ाइन अच्छी थी. मेने कहा : बस ? ओर कहीं लगाई है

वो ज़्यादा शरमाई, चहेरा नीचा कर दिया और धीरे से हा बोली. मुज़े पता था उस ने स्तन पैर भी लगाई थी. ठौडी नीचे उंगली रख कर मेने उस का चहेरा उठाया. शर्म से उस ने आँखें मूँद ली. मेने गाल पैर हाथ फ़िरया और कहा : प्यारी, मेरे सामने तो देख. मेरा चहेरा पसंद नहीं है क्या ?


उस ने मेरी दोनो कलाइयों पकड़ ली और मुँह घुमा कर हथेली चूम ली. आगे झुक कर मेने गाल पर हलका सा चुंबन किया. उस के रोएँ खड़े होते में देख सका. मेने मेरा गाल उस के गाल साथ लगा दिया. कंधों पर हाथ रख कर उसे खींच लिया. वो ऐसे बैठी थी की उस के घुटनो सीने से लग गये थे. मेने धीरे से उस के पाँव लंबे किए. उस ने अपने हाथों की चौकड़ी बना कर सीने से लगा दी जिस से स्तन ढक गये थे. मेने हाथ हटाने का प्रयास किया लेकिन नाकामयाब रहा. बाहों मे ले कर मेने उसे आलिनगान दिया. मेरा मुँह उस के गाल चूमाता रहा और होले होले उस के मुँह की ओर जाने लगा. आख़िर मेरे होठों ने उस के होठ छू लिए ज़टके से तुरंत उस ने मुँह हटा लिया. मेने फिर उस के मुँह चूमने का प्रयत्न इया लेकिन हर वक़्त वो अपना सिर घुमा कर मुँह हटा देती रही. आख़िर मेने उस का सिर पकड़ लिया और बलपूर्वक मुँह से मुँह चिपका दिया. वो उन्न्न उन्न करती रही लेकिन मेने उसे छोड़ा नहीं. जब मेने उस के होठ पर ज़बान फिराई और मुँह में ले कर चूसा तब उस को मज़ा आने लगा और मुज़े किस करने दिया. दो मिनिट की लंबी किस जब छुटी तब उस के होठ मेरे थुम्क से गिले हो गये थे.

में आगे सोचूँ इस से पहले उस ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे मुँह से मुँह चिपका दिया. किस करने में उस ने पहल की जान कर मेरी उत्तेजना बढ़ाने लगी अब की बार मेने उस के होठ मेरे होठों बीच लिए और अच्छी तरह चुसे. मेरे लंड ने बग़ावत पुकर ली. मेने कहा : ज़रा मुँह खोल.

जैसे उस ने मुँह खोला मेने मेरी जीभ उस के मुँह में डाल दी. जीभ से मेने उस का मुँह टटोला. लंड जसी कड़ी बना कर अंदर बाहर कर मेने उस के मुँह को चोदा. वो जलदी से गरम होने लगी उस ने अपने हाथ मेरे सिर पैर रख दिया. जब मेने जीभ निकाल दी तब उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाली और मेरे मुँह को चोदा. हम दोनो की साँसें तेज़ होती चली.

किस चालू ही थी और मेरे हाथ उस की कमर पैर उतर आए. अपनी ओर खींच कर मेने उसे आलिनगान दिया. इस वक़्त उस के हाथ उपर उठे हुए थे, सीने पर नहीं थे. उस के स्तन मेरे सीने से दब गये मुज़े कुछ शरारत सूझी, में झटके से अलग हुआ और बोला : अरे, अरे मेरे सीने में ये क्या चुभ गया ? देखूं तो ?

इस बहाने मेने मेरे हाथ उस के सीने पैर घुमा लिए और स्तन टटोल लिए उस ने ब्रा पहनी नहीं थी. नाइटि के आर पैर उस की कड़ी नीपल में ढूँढ सका. उंगली से नीपल टटोल कर में बोला : यही है कुछ नोकदर जो मेरे सीने में चुभ गया था. क्या है वो ? मेरी कलाई पकड़ कर उस ने मेरे हाथ स्तन पर से हटाते हुए वो धीरे आवाज़ से बोली : क्यूं सताते हो ? आप जानते तो हो. में : प्यारी, इतने अच्छे तेरे स्तन कब तक छुपाओगी मुझ से ? देखने तो दे. मेने फिर से स्तन पैर हाथ रक्खा. इस वक़्त उस ने विरोध किया नहीं. अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी मेने नाइटि के हूक खोलने शुरू किए. नाइटि खुली और मेरी हथेली नंगे स्तन पैर जम गयी उस ने लेकिन गर्दन पर की पकड़ जारी रक्खी जिस से में स्तन नज़रों से देख ना सकूँ. चहेरा घुमा कर में फिर फ़्रेंच किस करने लगा, एक हाथ से स्तन सहालाने लगा. ये करते हुए धीरे से मेने उसे धकेल कर पलंग पैर चित लेटा दिया. मेरा आधा बदन उस पर छा गया , मेरे सीने से स्तन दब गाये मेरे कमर और कुले बिस्तर पैर रहे. मेरा तना हुआ लंड बिस्तर के साथ दब गया.

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